विश्राम घाट

श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में, यमुना के तट पर पच्चीस घाट हैं। इनमें से सबसे महत्तवपूर्ण घाट है विश्राम घाट। मथुरा में होने वाली “ब्रजमण्डल परिक्रमा” के धार्मिक स्थलों की परिक्रमा का आरंभ विश्राम घाट से ही शुरू होता है और यहीं खत्म होता है। विश्राम घाट के उत्तर और दक्षिण ओर में बारह-बारह घाट स्थित हैं। विश्राम घाट के आसपास मथुरा के कई मुख्य व प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं जैसे कि मुकुट मंदिर, राधा-दामोदर, मुरली मनोहर, नरसिंहा मंदिर आदि। विश्राम घाट कई महान संतों का तपस्या व विश्राम स्थल रहा है। महान संत महाप्रभु वल्लभ चैतन्य की बैठक भी इसी घाट के पास हुआ करती थी। यहां घाट के तट पर हर शाम होने वाली आरती का नज़ारा अद्भुत होता है। सिकंदर लोधी के शासनकाल में हुए आक्रमणों के कारण यह घाट काफी क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन दो वैष्णव संतों, केशव कश्मीरी और वल्लभाचार्य ने इस घाट का पुनःनिर्माण किया था। इसके बाद मुग़ल शासक अकबर के सुशासन में कई मंदिरों की मरम्मत और उन्हें अलंकृत करवाया गया। कहा जाता है कि अपने मामा कंस का वध करने के बाद श्री कृष्ण ने इसी घाट पर विश्राम किया था इसीलिए इस घाट को विश्राम घाट के नाम से जाना जाता है |

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